Skip to main content

लुवास में वेटरनरी एनाटोमी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की 35वीं वार्षिक सम्मेलन एवं इंटरनेशनल संगोष्टी के तकनीकी सत्रों का औपचारिक शुभारम्भ


लुवास में वेटरनरी एनाटोमी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की 35वीं वार्षिक सम्मेलन एवं इंटरनेशनल संगोष्टी के तकनीकी सत्रों का औपचारिक शुभारम्भ आज शुक्रवार कुलपति लुवास डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने दीप प्रज्जवलित कर किया इस अवसर पर उनके साथ इंडियन वेटरनरी एनाटोमी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट एवं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. गुरदियाल सिंह, सेक्रेटरी आई.ए.वी.ए. डॉ. वी.के. मिश्रा, पशुचिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. वी.के. जैन व पशु चिकित्सा शरीर रचना विभाग के विभागाध्यक्ष व सम्मेलन आयोजक डॉ. पवन कुमार उपस्थित रहे ।

इस अवसर पर देशभर से आए पशु शरीर रचना पर शोध करने के लिए विभिन्न वैज्ञानिकों को 2020 व 2021 वर्ष में उनके सराहनीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया । जिसमें डॉ. राम जी प्रसाद (झारखंड) को 2020 व पूर्व कुलपति लुवास डॉ. गुरदियाल सिंह (हिसार) को 2021 के डॉ. एल. एन. दास लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया । डॉ. पी.वी.एस. किशोर (आंध्र प्रदेश) को 2020  व डॉ. आर.एस. सेठी(लुधियाना) को 2021 के डॉ. वी.आर. भाम्बुकर सिल्वर जुबली मेडल फॉर एनाटॉमिस्ट से नवाजा गया । डॉ. एन. अशोक (केरला), को 2020 व डॉ. टी.ए. कन्नन (तमिलनाडु) और डॉ. कमल शर्मा(जम्मू-कश्मीर) को 2021 के इंडियन एसोसिएशन ऑफ वेटरनरी एनाटोमिस्ट्स फेलो अवार्ड से सम्मानित किया गया । डॉ. तेजप्रकाश( हिसार) को 2020 व डॉ. एस.संथिल कुमार(तमिलनाडु) को 2021 में इंडियन जर्नल ऑफ़ एनाटोमी में प्रकाशित उनके अध्ययन के लिए सर्वश्रेष्ठ शोध प्रकाशन के लिए पुरुस्कृत किया गया ।  

सभा को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने विश्वविद्यालय में हो रही विभिन्न परियोजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी उन्होंने कहा कि पशु शरीर रचना विभाग को नए आयाम तक ले जाने के लिए हमें नए तरीके सोचने होंगे जिसके लिए विभिन्न पशु स्वास्थ्य से सम्बन्धित विभागों को मिलकर काम करना चाहिए।

तकनीकी सत्र की शुरुआत वाईस-प्रेसिडेंट ऑफ़ रिसर्च, सास्काटून, कैनाडा डॉ. बलजीत सिंह के भाषण से हुई । गोरतलब है कि डॉ. बलजीत सिंह इस सम्मेलन में ऑनलाइन से जुड़े थे। उन्होंने अपने भाषण में शरीर रचना एवं उससे संबंधित विज्ञान पर विस्तृत जानकारी दी और कहा कि विभिन्न संस्थान बहुत अच्छा कार्य कर सकते है जिससे पशुओं को विभिन्न बिमारियों से बचाया जा सकें।

विभागाध्यक्ष व आयोजक डॉ. पवन कुमार ने बताया कि विभिन्न विषयों जैसे कि फोरेंसिक एनाटॉमी, पशु रचना में इस्तेमाल होने वाली विधियाँ, एनिमल्स बायोटेक्नोलॉजी व स्टेम सेल टेक्नोलॉजी और क्लीनिकल एनाटॉमी पर चार तकनीकी सत्रों को आज आयोजित किया गया। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि देश प्रदेश के शोधकर्ताओं ने विभिन्न विषयों पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र प्रस्तुत किए। डॉ. पवन ने बताया कि आज दिन के अंत में वेटरनरी एनाटोमी एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की आम सभा का आयोजन किया जाएगा जिसमें विस्तार से शिक्षण, अनुसंधान व विस्तार शिक्षा पर मंथन किया जाएगा  

फोटो कैप्शन---
1-इ कॉम्पेंडियम लॉन्च करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. विनोद कुमार वर्मा, अध्यक्ष व पूर्व कुलपति डॉ. गुरदियाल सिंह साथ में सेक्रेटरीआई.ए.वी.ए. डॉ. वी.के. मिश्रा व डॉ. पवन कुमार 
2. पूर्व कुलपति लुवास डॉ. गुरदियाल सिंह (हिसार) को 2021 के डॉ. एल. एन. दास लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजते कुलपति लुवास डॉ. विनोद कुमार वर्मा 
3. संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा 
4. अवार्ड देते हुए डॉ. विनोद कुमार वर्मा साथ में पूर्व कुलपति एवं अध्यक्ष आई.ए.वी.ए. डॉ. गुरदियाल सिंह

Popular posts from this blog

लुवास के डॉ. रवि दत्त को उदयपुर में दो प्रतियोगिताओं में मिला प्रथम स्थान

लाला लाजपत राय विश्वविद्यालय के पशु प्रसूति शास्त्र व प्रसूति विज्ञान के सहायक प्राध्यापक, डॉ रविदत्त ने उदयपुर में हाल ही आयोजित २२वीं भारतीय वेटरनरी कांग्रेस, इंडियन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ वेटरनरी रिसर्च की 39वीं वार्षिक सम्मेलन व राष्ट्रीय संगोष्ठी में उनके अनुसंधान कार्य के लिए सर्वश्रेष्ट मौखिक व पोस्टर प्रस्तुतीकरण के लिए सर्वश्रेष्ठ मौखिक और सर्वश्रेष्ठ पोस्टर का पुरस्कार जीता। `राजस्थान पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा उदयपुर में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में "पशु चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य और उनके कल्याण की बेहतरी के लिए एक स्वास्थ्य में योगदान" के विषय पर 27 वैज्ञानिकों ने सम्मेलन में मौखिक सेशन में अपना शोध प्रस्तुत किया। जिसमें डॉ. रविदत्त ने शुक्राणु माइटोकॉन्ड्रियल लक्षित एंटीऑक्सीडेंट को जोड़कर क्रायोप्रिजर्वेशन के दौरान भैंसों में वीर्य की गुणवत्ता में सुधार पर अपने काम के लिए सर्वश्रेष्ठ मौखिक शोध पुरस्कार प्राप्त किया। यह शोध कार्य उनके स्नातकोत्तर विद्यार्थी डॉ. अर्जुन की मास्टर डिग्री के शोध में डॉ धर्मेंद्र कुमार , डॉ. प्रदीप कुमार  क...

उत्तर भारत में राहत भरी खबर: हरियाणा की लुवास यूनिवर्सिटी को मिली लम्पी स्किन रोग के सैंपल जांच करने की अनुमति

29-08-2022 पशु चिकित्सा न्यूज़ मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने प्रदेश भर में लम्पी स्किन डिजीज महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सैंपल की टेस्टिंग की अनुमति लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय हिसार को प्रदान कर दी है । गौरतलब है कि अभी लम्पी स्किन डिजीज की जांच के लिए सैंपल को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय उच्च रोग पशु रोग संस्थान, भोपाल प्रयोगशाला(आई.सी.ए.आर.-निषाद) में भेजे जाते थे जिसकी रिपोर्ट आने में 2-3 दिन का समय लगता था। लम्पी स्किन रोग के लिए परीक्षण सुविधाओं के विकेन्द्रीकरण की अवधारणा के साथ भारत सरकार ने लुवास को यह मंजूरी दी है ।  लुवास कुलपति प्रो डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने लुवास को भारत सरकार द्वारा इस अनुमति प्रदान करने पर आभार प्रकट किया और कहा कि जिस प्रकार से यह रोग दिन-प्रतिदिन गोवंशों में फैल रहा है इसकी तुरंत रोकथाम जरूरी है जो कि इस जांच केंद्र के स्थापित होने से शीघ्र हो सकेगी। भारत सरकार के इस निर्देश से इस महामारी के प्रकोप को न सिर्फ हरियाणा प्रदेश बल्कि आसपास के साथ लग...

कोविड -19 की तरह एलएसडी बीमारी को भी नियंत्रित करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही सरकार: मुख्यमंत्री, हरियाणा

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने राज्य के पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) से घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री आज आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। मनुष्यों में एलएसडी वायरस के संक्रमण के संबंध में अफवाहों को स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालकों को इस बीमारी से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि यह बीमारी मनुष्यों में नहीं फैलती है। इसलिए बीमार पशुओं की देखभाल करने वाले पशुपालकों के लिए डरने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की तरह हरियाणा एलएसडी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है। एलएसडी के नियंत्रण के लिए हर स्तर पर वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। अब तक 2,45,249 गौवंश को इस रोग से बचाव के लिए गोट पोक्स टीका लगाया जा चुका है। इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ नियमित बैठकें की जा रही हैं।   अधिकतम टीकााकरण सुनिश्चिचत करने के लिए व्यापक अभियायन शुरू म...