विस्तार शिक्षा निदेशालय, लुवास एवं पशुपालन विभाग, हरियाणा ने संयुक्त रूप से राजकीय पशु चिकित्सा अस्पताल बालक में मुँहखुर एवं गलघोटू बीमारी जागरूकता अभियान के तहत टीकाकरण जागरूकता कैंप का आयोजन किया। कैंप का आयोजन डॉ. धर्मबीर सिंह दहिया (विस्तार शिक्षा निदेशक), डाॅ. श्री भगवान बिश्नोई (डी.डी. हिसार) एवं डॉ. ओम प्रकाश ग्रोह (एस.डी.ओ. बरवाला) के दिशा निर्देशन में किया गया। कैंप के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि मुँहखुर एवं गलघोटू पशुओं में अत्यधिक तेजी से फैलने वाले रोग हंै जो पशुपालकों को आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रभावित करते हैं। मुँहखुर एक विषाणु जनित रोग है जो फटे खुर वाले पशुओं गाय, भैंस, भेड़-बकरी व सुअर को प्रभावित करता है। गलघोंटू एक जीवाणु जनित रोग है जो मुख्य रूप से गाय-भैंस में होता है। पिछले कुछ सालों से हरियाणा में मुँहखुर के साथ-साथ गलघोटू का प्रकोप भी देखा गया है जिनसे पशुपालकों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काफी नुकसान हुआ है। संक्रमण फैलने का मुख्य कारण रोगी पशु से सीधा संपर्क, संक्रमित चारा, पानी तथा रोगी पशु की देखभाल करने वाले व्यक्ति के कपड़े, जूतों व हाथों आदि हैं। इन बीमारियों की रोकथाम के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। हरियाणा सरकार द्वारा मुँहखुर गलघोटू के लिए मुफ्त में अब संयुक्त टीका लगाया जाता है जो कि साल में केवल दो बार लगाये जाते हैं। विशेषज्ञों ने पशुपालकों से 4 माह से ऊपर के सभी पशुओं का टीकाकरण करवाने की अपील की और कहा कि कटड़े-कटड़ियों में एक महीने बाद बूस्टर डोज भी लगावाएं। पशु को संतुलित आहार और खनिज मिश्रण देने से टीकाकरण के तनाव को कम किया जा सकता हैं। कुछ पशुपालक भाई दो या तीन दिन के फायदे के लिए खुद के पशुओं के साथ-साथ अपने पूरे समाज के पशुओं के कल्याण और स्वास्थ्य को जोखिम में डाल देते हैं। पशुपालक खरीदे गए नये पशु को झुण्ड में लाने से पहले उसके खून (सीरम) की जाँच करवायें जिसकी सुविधा पशु सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग, पशु चिकित्सा महाविद्यालय, लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार में उपलब्ध है। जागरूकता कैंप में पशुपालकों की टीकाकरण से संबंधित सभी शंकाओं का निवारण किया गया। कैंप के दौरान डॉ. ओम प्रकाश, डॉ. आकृति सरोवा (पशु चिकित्सक, बालक), डॉ. सरिता (विस्तार विशेषज्ञ, लुवास) और डॉ. पल्लवी (वैज्ञानिक, लुवास) ने अपनी-अपनी बात रखी। कैंप के आयोजन में श्री विजेन्द्र सिंह (वी.एल.डी.ए. बालक) एवं श्री कृष्ण (पशु सहायक, बालक) का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
लाला लाजपत राय विश्वविद्यालय के पशु प्रसूति शास्त्र व प्रसूति विज्ञान के सहायक प्राध्यापक, डॉ रविदत्त ने उदयपुर में हाल ही आयोजित २२वीं भारतीय वेटरनरी कांग्रेस, इंडियन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ वेटरनरी रिसर्च की 39वीं वार्षिक सम्मेलन व राष्ट्रीय संगोष्ठी में उनके अनुसंधान कार्य के लिए सर्वश्रेष्ट मौखिक व पोस्टर प्रस्तुतीकरण के लिए सर्वश्रेष्ठ मौखिक और सर्वश्रेष्ठ पोस्टर का पुरस्कार जीता। `राजस्थान पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा उदयपुर में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में "पशु चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य और उनके कल्याण की बेहतरी के लिए एक स्वास्थ्य में योगदान" के विषय पर 27 वैज्ञानिकों ने सम्मेलन में मौखिक सेशन में अपना शोध प्रस्तुत किया। जिसमें डॉ. रविदत्त ने शुक्राणु माइटोकॉन्ड्रियल लक्षित एंटीऑक्सीडेंट को जोड़कर क्रायोप्रिजर्वेशन के दौरान भैंसों में वीर्य की गुणवत्ता में सुधार पर अपने काम के लिए सर्वश्रेष्ठ मौखिक शोध पुरस्कार प्राप्त किया। यह शोध कार्य उनके स्नातकोत्तर विद्यार्थी डॉ. अर्जुन की मास्टर डिग्री के शोध में डॉ धर्मेंद्र कुमार , डॉ. प्रदीप कुमार क...