जयपुर, 25 जून। प्रो. (डॉ.) सतीश के. गर्ग, कुलपति, राजुवास ने शनिवार को स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पी.जी.आई.वी.ई.आर.), जयपुर का दौरा कर संस्थान की विभिन्न गतिविधियों का अवलोकन किया। संस्थान की कार्यवाहक अधिष्ठाता प्रो. (डॉ.) शीला चौधरी ने कुलपति महोदय को संस्थान में चल रही विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराया। कुलपति महोदय ने स्नातक प्रथम एवं द्वितीय वर्ष की कक्षाओं का भ्रमण किया तथा विद्यार्थियों से वार्तालाप कर उनकी शैक्षणिक गतिविधियों के बारे में जानकारी ली। विद्यार्थियों की खेलकूद संबंधी विभिन्न सुविधाओं को भी जल्द शुरू करने के निर्देश दिये। उन्होंने संस्थान के वेटरनरी क्लिनिकल परिसर का भ्रमण किया तथा वहां चल रही शिक्षण एवं चिकित्सा सुविधाओं के बारे में जानकारी ली तथा संकाय सदस्यों से वार्तालाप कर चिकित्सिय सुविधाओं को और प्रभावी बनाने हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दिये। संस्थान में संचालित विभिन्न प्रोजेक्टों की प्रगति के बारे में भी जानकारी ली तथा बी.एस.एल.-3 प्रयोगशाला के निर्माणाधीन कार्य का भी निरीक्षण किया। उन्होंने निर्माणाधीन छात्रावासों का भी भ्रमण किया तथा उसकी प्रगति की जानकारी ली। संस्थान परिसर में संचालित डेयरी एवं खाद्य प्रोद्यौगिकी महाविद्यालय, बस्सी के संकाय सदस्यों तथा विद्यार्थियों से भी वार्तालाप कर उनकी समस्याएं सुनी तथा महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
लाला लाजपत राय विश्वविद्यालय के पशु प्रसूति शास्त्र व प्रसूति विज्ञान के सहायक प्राध्यापक, डॉ रविदत्त ने उदयपुर में हाल ही आयोजित २२वीं भारतीय वेटरनरी कांग्रेस, इंडियन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ वेटरनरी रिसर्च की 39वीं वार्षिक सम्मेलन व राष्ट्रीय संगोष्ठी में उनके अनुसंधान कार्य के लिए सर्वश्रेष्ट मौखिक व पोस्टर प्रस्तुतीकरण के लिए सर्वश्रेष्ठ मौखिक और सर्वश्रेष्ठ पोस्टर का पुरस्कार जीता। `राजस्थान पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा उदयपुर में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में "पशु चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य और उनके कल्याण की बेहतरी के लिए एक स्वास्थ्य में योगदान" के विषय पर 27 वैज्ञानिकों ने सम्मेलन में मौखिक सेशन में अपना शोध प्रस्तुत किया। जिसमें डॉ. रविदत्त ने शुक्राणु माइटोकॉन्ड्रियल लक्षित एंटीऑक्सीडेंट को जोड़कर क्रायोप्रिजर्वेशन के दौरान भैंसों में वीर्य की गुणवत्ता में सुधार पर अपने काम के लिए सर्वश्रेष्ठ मौखिक शोध पुरस्कार प्राप्त किया। यह शोध कार्य उनके स्नातकोत्तर विद्यार्थी डॉ. अर्जुन की मास्टर डिग्री के शोध में डॉ धर्मेंद्र कुमार , डॉ. प्रदीप कुमार क...