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25-06-2022: कुलपति, राजुवास का पी.जी.आई.वी.ई.आर., जयपुर दौरा

जयपुर, 25 जून। प्रो. (डॉ.) सतीश के. गर्ग, कुलपति, राजुवास ने शनिवार को स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पी.जी.आई.वी.ई.आर.), जयपुर का दौरा कर संस्थान की विभिन्न गतिविधियों का अवलोकन किया। संस्थान की कार्यवाहक अधिष्ठाता प्रो. (डॉ.) शीला चौधरी ने कुलपति महोदय को संस्थान में चल रही विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराया। कुलपति महोदय ने स्नातक प्रथम एवं द्वितीय वर्ष की कक्षाओं का भ्रमण किया तथा विद्यार्थियों से वार्तालाप कर उनकी शैक्षणिक गतिविधियों के बारे में जानकारी ली। विद्यार्थियों की खेलकूद संबंधी विभिन्न सुविधाओं को भी जल्द शुरू करने के निर्देश दिये। उन्होंने संस्थान के वेटरनरी क्लिनिकल परिसर का भ्रमण किया तथा वहां चल रही शिक्षण एवं चिकित्सा सुविधाओं के बारे में जानकारी ली तथा संकाय सदस्यों से वार्तालाप कर चिकित्सिय सुविधाओं को और प्रभावी बनाने हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दिये। संस्थान में संचालित विभिन्न प्रोजेक्टों की प्रगति के बारे में भी जानकारी ली तथा बी.एस.एल.-3 प्रयोगशाला के निर्माणाधीन कार्य का भी निरीक्षण किया। उन्होंने निर्माणाधीन छात्रावासों का भी भ्रमण किया तथा उसकी प्रगति की जानकारी ली। संस्थान परिसर में संचालित डेयरी एवं खाद्य प्रोद्यौगिकी महाविद्यालय, बस्सी के संकाय सदस्यों तथा विद्यार्थियों से भी वार्तालाप कर उनकी समस्याएं सुनी तथा महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

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लुवास के डॉ. रवि दत्त को उदयपुर में दो प्रतियोगिताओं में मिला प्रथम स्थान

लाला लाजपत राय विश्वविद्यालय के पशु प्रसूति शास्त्र व प्रसूति विज्ञान के सहायक प्राध्यापक, डॉ रविदत्त ने उदयपुर में हाल ही आयोजित २२वीं भारतीय वेटरनरी कांग्रेस, इंडियन एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ वेटरनरी रिसर्च की 39वीं वार्षिक सम्मेलन व राष्ट्रीय संगोष्ठी में उनके अनुसंधान कार्य के लिए सर्वश्रेष्ट मौखिक व पोस्टर प्रस्तुतीकरण के लिए सर्वश्रेष्ठ मौखिक और सर्वश्रेष्ठ पोस्टर का पुरस्कार जीता। `राजस्थान पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा उदयपुर में आयोजित वार्षिक सम्मेलन में "पशु चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य और उनके कल्याण की बेहतरी के लिए एक स्वास्थ्य में योगदान" के विषय पर 27 वैज्ञानिकों ने सम्मेलन में मौखिक सेशन में अपना शोध प्रस्तुत किया। जिसमें डॉ. रविदत्त ने शुक्राणु माइटोकॉन्ड्रियल लक्षित एंटीऑक्सीडेंट को जोड़कर क्रायोप्रिजर्वेशन के दौरान भैंसों में वीर्य की गुणवत्ता में सुधार पर अपने काम के लिए सर्वश्रेष्ठ मौखिक शोध पुरस्कार प्राप्त किया। यह शोध कार्य उनके स्नातकोत्तर विद्यार्थी डॉ. अर्जुन की मास्टर डिग्री के शोध में डॉ धर्मेंद्र कुमार , डॉ. प्रदीप कुमार  क...

उत्तर भारत में राहत भरी खबर: हरियाणा की लुवास यूनिवर्सिटी को मिली लम्पी स्किन रोग के सैंपल जांच करने की अनुमति

29-08-2022 पशु चिकित्सा न्यूज़ मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने प्रदेश भर में लम्पी स्किन डिजीज महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सैंपल की टेस्टिंग की अनुमति लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय हिसार को प्रदान कर दी है । गौरतलब है कि अभी लम्पी स्किन डिजीज की जांच के लिए सैंपल को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय उच्च रोग पशु रोग संस्थान, भोपाल प्रयोगशाला(आई.सी.ए.आर.-निषाद) में भेजे जाते थे जिसकी रिपोर्ट आने में 2-3 दिन का समय लगता था। लम्पी स्किन रोग के लिए परीक्षण सुविधाओं के विकेन्द्रीकरण की अवधारणा के साथ भारत सरकार ने लुवास को यह मंजूरी दी है ।  लुवास कुलपति प्रो डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने लुवास को भारत सरकार द्वारा इस अनुमति प्रदान करने पर आभार प्रकट किया और कहा कि जिस प्रकार से यह रोग दिन-प्रतिदिन गोवंशों में फैल रहा है इसकी तुरंत रोकथाम जरूरी है जो कि इस जांच केंद्र के स्थापित होने से शीघ्र हो सकेगी। भारत सरकार के इस निर्देश से इस महामारी के प्रकोप को न सिर्फ हरियाणा प्रदेश बल्कि आसपास के साथ लग...

कोविड -19 की तरह एलएसडी बीमारी को भी नियंत्रित करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही सरकार: मुख्यमंत्री, हरियाणा

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने राज्य के पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) से घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री आज आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। मनुष्यों में एलएसडी वायरस के संक्रमण के संबंध में अफवाहों को स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालकों को इस बीमारी से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि यह बीमारी मनुष्यों में नहीं फैलती है। इसलिए बीमार पशुओं की देखभाल करने वाले पशुपालकों के लिए डरने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की तरह हरियाणा एलएसडी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है। एलएसडी के नियंत्रण के लिए हर स्तर पर वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। अब तक 2,45,249 गौवंश को इस रोग से बचाव के लिए गोट पोक्स टीका लगाया जा चुका है। इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ नियमित बैठकें की जा रही हैं।   अधिकतम टीकााकरण सुनिश्चिचत करने के लिए व्यापक अभियायन शुरू म...