जयपुर, 25 जून। प्रो. (डॉ.) सतीश के. गर्ग, कुलपति, राजुवास ने शनिवार को स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पी.जी.आई.वी.ई.आर.), जयपुर का दौरा कर संस्थान की विभिन्न गतिविधियों का अवलोकन किया। संस्थान की कार्यवाहक अधिष्ठाता प्रो. (डॉ.) शीला चौधरी ने कुलपति महोदय को संस्थान में चल रही विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराया। कुलपति महोदय ने स्नातक प्रथम एवं द्वितीय वर्ष की कक्षाओं का भ्रमण किया तथा विद्यार्थियों से वार्तालाप कर उनकी शैक्षणिक गतिविधियों के बारे में जानकारी ली। विद्यार्थियों की खेलकूद संबंधी विभिन्न सुविधाओं को भी जल्द शुरू करने के निर्देश दिये। उन्होंने संस्थान के वेटरनरी क्लिनिकल परिसर का भ्रमण किया तथा वहां चल रही शिक्षण एवं चिकित्सा सुविधाओं के बारे में जानकारी ली तथा संकाय सदस्यों से वार्तालाप कर चिकित्सिय सुविधाओं को और प्रभावी बनाने हेतु महत्वपूर्ण सुझाव दिये। संस्थान में संचालित विभिन्न प्रोजेक्टों की प्रगति के बारे में भी जानकारी ली तथा बी.एस.एल.-3 प्रयोगशाला के निर्माणाधीन कार्य का भी निरीक्षण किया। उन्होंने निर्माणाधीन छात्रावासों का भी भ्रमण किया तथा उसकी प्रगति की जानकारी ली। संस्थान परिसर में संचालित डेयरी एवं खाद्य प्रोद्यौगिकी महाविद्यालय, बस्सी के संकाय सदस्यों तथा विद्यार्थियों से भी वार्तालाप कर उनकी समस्याएं सुनी तथा महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
15-03-2022: किसान मेले में लुवास विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
15-03-2022: आज चो. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित कृषि मेला ‘खरीफ’ में लुवास विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मुझे बहुत ख़ुशी है कि इस मेले में मुझे किसानों व पशुपालकों से बात करने का अवसर मिला अब की बार कृषि मेले का विषय प्राकृतिक खेती रखा गया गया जी कि समय की मांग है । पशुपालक अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक कीटनाशक, रासायनिक खाद, हारमोंस व एंटीबायोटिक दवाओं का पशुओं एवं मुर्गी पालन में अनावश्यक प्रयोग कर रहे है । इससे हमारी पूरी भोजन श्रृंखला दूषित हो रही है । प्राकृतिक खाद तथा आर्युवेदिक दवाइयों का उपयोग करते हुए हम पशुपालन को इन हानिकारक रसायनों से मुक्त रखते हुए अपनी आमदनी बढ़ा सकते है। पशुपालकों की ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए लुवास में सर्वप्रथम पशु विज्ञान केंद्र कैथल जिले में शुरू किया है इसी मॉडल की देखा-देखी इस तरह के केंद्र अन्य राज्यों जैसे की बिहार आदि में भी शुरू हो गए है। लुवास ने अब तक 8 पशु-विज्ञान केंद्र व 7 पशु रोग निदान प्रयोगशालाए पशुओं के जल्दी उपचार हेतू ...