बीकानेर, 18 जून। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग को पशुचिकित्सा शिक्षा व अनुसंधान में उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों और पशुपालन में योगदान के लिए लाईफ टाईम एचिवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। उत्तर बंगा कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल द्वारा “सतत् विकास के लिए कृषि जैविक और व्यवहारिक विज्ञान में वर्तमान मुद्दे“ विषय पर 11 से 13 जून को आयोजित छठे अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रो. गर्ग को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. गर्ग मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित भी रहे। पशुचिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्र में प्रो. गर्ग ने तीन दशक से अधिक अध्ययन-अध्यापन एवं शोध में उत्कृष्ट कार्य किया। कुलपति प्रो. गर्ग वेटरनरी विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर कार्य करते हुए एक कुशल प्रशासक, शिक्षाविद् और अनुसंधानवेत्ता के रूप में नेतृत्व प्रदान कर रहें हैं। इस अवसर पर डॉ. बी.बी. गौरांग, संग्रहाध्यक्ष, कलिम्पोंग साईंस सेंटर, दार्जिलिंग, डॉ. छत्रपाल सिंह, अध्यक्ष ए.ईडी.एस. रामपुर, प्रो. साजिद अली, क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र, यू.बी.के.वी. कलिम्पोंग, दार्जिलिंग एवं प्रो. प्रभात कुमार पाल, प्रसार शिक्षा निदेशक, उत्तरबंगा कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल उपस्थित रहे।
15-03-2022: किसान मेले में लुवास विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए
15-03-2022: आज चो. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित कृषि मेला ‘खरीफ’ में लुवास विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हुए इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मुझे बहुत ख़ुशी है कि इस मेले में मुझे किसानों व पशुपालकों से बात करने का अवसर मिला अब की बार कृषि मेले का विषय प्राकृतिक खेती रखा गया गया जी कि समय की मांग है । पशुपालक अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक कीटनाशक, रासायनिक खाद, हारमोंस व एंटीबायोटिक दवाओं का पशुओं एवं मुर्गी पालन में अनावश्यक प्रयोग कर रहे है । इससे हमारी पूरी भोजन श्रृंखला दूषित हो रही है । प्राकृतिक खाद तथा आर्युवेदिक दवाइयों का उपयोग करते हुए हम पशुपालन को इन हानिकारक रसायनों से मुक्त रखते हुए अपनी आमदनी बढ़ा सकते है। पशुपालकों की ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए लुवास में सर्वप्रथम पशु विज्ञान केंद्र कैथल जिले में शुरू किया है इसी मॉडल की देखा-देखी इस तरह के केंद्र अन्य राज्यों जैसे की बिहार आदि में भी शुरू हो गए है। लुवास ने अब तक 8 पशु-विज्ञान केंद्र व 7 पशु रोग निदान प्रयोगशालाए पशुओं के जल्दी उपचार हेतू ...