कोविड -19 की तरह एलएसडी बीमारी को भी नियंत्रित करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही सरकार: मुख्यमंत्री, हरियाणा
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने राज्य के पशुपालकों से अपील करते हुए कहा कि लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) से घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा इस बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री आज आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। मनुष्यों में एलएसडी वायरस के संक्रमण के संबंध में अफवाहों को स्पष्ट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालकों को इस बीमारी से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि यह बीमारी मनुष्यों में नहीं फैलती है। इसलिए बीमार पशुओं की देखभाल करने वाले पशुपालकों के लिए डरने की कोई बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 की तरह हरियाणा एलएसडी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है। एलएसडी के नियंत्रण के लिए हर स्तर पर वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। अब तक 2,45,249 गौवंश को इस रोग से बचाव के लिए गोट पोक्स टीका लगाया जा चुका है। इसके प्रभावी नियंत्रण के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ नियमित बैठकें की जा रही हैं।
अधिकतम टीकााकरण सुनिश्चिचत करने के लिए व्यापक अभियायन शुरू
मुख्यमंत्री ने कहा कि एलएसडी के नियंत्रण के लिए पशुओं का अधिक से अधिक टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने व्यापक अभियान शुरू किया है। इसके तहत पशुओं का मुफ्त टीकाकरण किया जा रहा है। लगभग 20 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से मृत्यु दर बहुत कम अर्थात केवल 1 से 5 प्रतिशत है। विशेषकर उन पशुओं को अधिक खतरा है जो पहले से ही अन्य रोगों से ग्रस्त हैं। बीमारी की शुरुआत में ही इलाज मिलने पर इस रोग से ग्रस्त पशु 2-3 दिन में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है।
एलएसडी बिमारी से प्रभावित 29,104 पशु स्वस्थ हो चुके हैं
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के 3497 गांवों तक 52,544 पशु इस बिमारी से ग्रस्त हुए। इनमें से 29,104 पशु स्वस्थ हो चुके हैं। अब तक 633 पशुओं की मृत्यु हो चुकी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की 286 गौशालाओं में 7938 गौवंश इस बीमारी से ग्रस्त हैं। इनमें से 126 गौवंश की मृत्यु हो चुकी है। मृत्यु का प्रतिशत 1.2 प्रतिशत है।
बचाव के उपाय
मुख्यमंत्री ने एलएसडी बिमारी की रोकथाम के लिए पशुपालकों को फोगिंग करवाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि किसानों को मक्खियों और मच्छरों को नियंत्रित करने की भी सलाह दी जा रही है, जो बीमारी फैलने का प्रमुख कारक हैं। इसलिए पशुपालक सफाई का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि प्रभावित जानवरों को अन्य जानवरों से अलग रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए ग्वालों द्वारा पशुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने पर रोक लगाई गई है। इसके अलावा, पशु मेलों और पशुओं की बिक्री पर भी रोक लगाई गई है। सभी गौशालाओं और गांवों में मक्खियों व मच्छरों के नियंत्रण के लिए फोगिंग करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि मृत पशुओं को 8 से 10 फुट की गहराई में दबाने के निर्देश दिये गये हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री डीएस ढेसी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री वी. उमाशंकर, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ अमित अग्रवाल सहित संबंधित विभागों के प्रशासनिक सचिव मौजूद रहे।
साभार: DIPRHaryana