अम्बाला, 24 अगस्त
पशुपालन विभाग के उप निदेशक डा0 प्रेम सिंह ने बताया कि लंपी स्कीन यह वायरस जनहित रोग मुख्यत: गौवंश में पाया जाता है तथा भैंसों में यह रोग न के बराबर है। यह वायरस गर्म व नम मौसम में मक्खी, मच्छर व चीचड़ आदि काटने से फैलता है। उन्होंने पशुपालकों से आग्रह किया कि लंपी स्कीन रोग से बचाव के लिए निम्र सावधानियां बरतकर अपने पशुओं को सुरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्वस्थ पशुओं को विभाग द्वारा उनके घर द्वार पर जाकर निशुल्क टीकाकरण किया जा रहा है। पशुपालक पशुओ के बाडे को सुखा व साफ रखें। नियमित रूप से मक्खी व मच्छर रोधी दवाईयों का प्रयोग करें। बीमार पशु के घावों को नियमित रूप से लाल दवाई व फिटकरी से सफाई करें। बीमार पशु से उत्पादित दूध का सेवन उबालकर करना चाहिए। बीमार पशु के सम्पर्क में आने पर अपने हाथों को साबुन से अच्छी प्रकार से धोएं, संक्रमण के प्रसार को कम करने के लिए पशुओं का आवागमन बंद करें, जैसे जोहड, होदी, मेलों आदि में लेकर न जाएं। उन्होने यह भी बताया कि यद्यपि इस रोग के कारण पशु में मृत्यु दर एक प्रतिशत से भी कम है, फिर भी एहतियात के तौर पर मृत पशुओं का विस्तारण कर 2 से 2.5 मीटर गहरा गड्डा खोदकर करना चाहिए। बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें। रोग के लक्षण दिखाई देने पर अपने नजदीकी पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें।
डा0 प्रेम सिंह ने पशुपालकों से आग्रह किया है कि केवल स्वस्थ पशुओं का ही टीकाकरण करवाएं। उन्होंने बताया कि जिले में लंपी स्कीन से 7556 पशु ग्रस्त हुए हैं जिनमें से 3210 पशु रिकवर भी हो चुके हैं। जिले में लंपी स्कीन के चलते 29 पशुओं की मौत हुई है। उन्होने यह भी बताया कि 20 अगस्त दिन शनिवार को 5 हजार वैक्सीनेशन प्राप्त हुई थी जिन्हें उसी दिन लगाने का कार्य कर दिया गया था। विभाग द्वारा आज 51500 वैक्सीनेशन प्राप्त हुई है। इस वैक्सीनेशन को भी चरणबद्ध तरीके से लगाने का काम किया जायेगा।